Friday, August 23, 2019
भक्ति की शक्ति
Thursday, August 22, 2019
अमर प्रेम
मैं दूर गाँव से आई हूँ,
देख तुम्हारी ऊंची अटारी,
दीदार की मैं प्यासी,
दर्शन दो वृषभानु दुलारी।
हाथ जोड़ विनंती करूँ,
अर्ज मान लो हमारी,
आपकी गलिन गुहार करूँ,
लील्या गुदवा लो प्यारी।।
जब किशोरी जी ने यह आवाज सुनी तो तुरंत विशाखा सखी को भेजा और उस लालिहारण को बुलाने के लिए कहा। घूंघट में अपने मुँह को छिपाते हुए कृष्ण किशोरीजी के सामने पहुंचे और उनका हाथ पकड़ कर बोले की सुकुमारी तुम्हारे हाथ पे किसका नाम लिखूँ? किशोरी जी ने उत्तर दिया कि केवल हाथ पर नहीं मुझे तो पूरे श्री अंग पर लील्या गुदवाना है और
क्या लिखवाना है? किशोरी जी बता रही हैं....
माथे पे मदन मोहन, पलकों पे पीताम्बर धारी..
नासिका पे नटवर, कपोलों पे कृष्ण मुरारी..
अधरों पे अच्युत, गर्दन पे गोवर्धन धारी..
कानो में केशव, भृकुटी पे चार भुजा धारी..
बाहों पे लिख बनवारी, हथेली पे हलधर के भैया..
नखों पे लिख नारायण, पैरों पे जग पालनहारी..
चरणों में चोर चित का, मन में मोर मुकुट धारी..
नैनो में तू गोद दे, नंदनंदन की सूरत प्यारी..
और रोम रोम पे लिख दे मेरे, रसिया रास बिहारी
जब ठाकुर जी ने सुना कि राधा अपने रोम रोम पर मेरा नाम लिखवाना चाहती है, तो ख़ुशी से बौरा गए प्रभु। उन्हें अपनी सुध न रही, वो भूल गए कि वो एक लालिहारण के वेश में बरसाने के महल में राधा के सामने ही बैठे हैं। वो खड़े होकर जोर जोर से नाचने लगे।उनके इस व्यवहार से किशोरी जी को बड़ा आश्चर्य हुआ कि इस लालिहारण को क्या हो गया? और तभी उनका घूंघट गिर गया और ललिता सखी को उनकी सांवरी सूरत का दर्शन हो गया और वो जोर से बोल उठी कि अरे...ये तो बांके बिहारी ही है। अपने प्रेम के इज़हार पर किशोरी जी बहुत लज्जित हो गयी और अब उनके पास कन्हैया को क्षमा करने के आलावा कोई रास्ता न था।
Wednesday, August 21, 2019
प्रतिबिम्ब
Tuesday, August 20, 2019
मुंड माला
इस पर शिव बोले यह आपका 108 वां जन्म है।इससे पहले आप 107 बार जन्म लेकर शरीर त्याग चुकी हैं और ये सभी मुंड उन पूर्व जन्मों की निशानी है। इस माला मे अभी एक मुंड की कमी है इसके बाद यह माला पूर्ण हो जाएगी। शिव की इस बात को सुनकर सती ने शिव से कहा मैं बार बार जन्म लेकर शरीर त्याग करती हूं किन्तु आप शरीर त्याग क्यों नहीं करते। शिव हंसते हुए बोले 'मैं अमर कथा जानता हूं इसलिए मुझे शरीर का त्याग नहीं करना पड़ता।' इस पर सती ने भी अमर कथा जानने की इच्छा प्रकट की। शिव जब सती को कथा सुनाने लगे तो उन्हें निद्रा आ गयी और वह कथा सुन नहीं पायी। इसलिए उन्हें दक्ष के यज्ञ कुंड मे कूदकर अपने शरीर का त्याग करना पड़ा। शिव ने सती के मुंड को भी माला मे गूंथ लिया।इस प्रकार 108 मुंड की माला तैयार हो गयी। सती ने अगला जन्म पार्वती के रूप मे हुआ। इस जन्म मे पार्वती को अमरत्व प्राप्त हुआ और फिर उन्हें शरीर त्याग नहीं करना पड़ा
Monday, August 19, 2019
गहरी खायी
और आपको आंखों से दिखलाई नहीं देता।क्या आपको डर नहीं लगता ? अगर कभी पांव लड़खड़ा गये तो ?
बाबा ने कुछ नहीं कहा और शाम के समय शिष्य को साथ ले चले।" पहाड़ों के मध्य थे तो बाबा ने शिष्य से कहा जैसे ही कोई गहरी खाई आये तो बताना। दोनों चलते रहे और जैसे ही गहरी खाई आयी शिष्य ने बताया कि बाबा गहरी खाई आ चुकी है।बाबा ने कहा मुझे इसमें धक्का दे दे।अब तो शिष्य इतना सुनते ही सकपका गया।उसने कहा बाबा मैं आपको धक्का कैसे दे सकता हूँ।मैं ऐसा हरगिज नहीं कर सकता।आप तो मेरे गुरुदेव हैं। मैं तो किसी अपने शत्रु को भी इस खाई में नहीं धकेल सकता।बाबा ने फिर कहा मैं कहता हूं कि मुझे इस खाई में धक्का दे दो।यह मेरी आज्ञा है। और मेरी आज्ञा की अवहेलना करोगे तो नर्क गामी होगे।शिष्य ने कहा बाबा मैं नर्क भोग लूंगा मगर आपको हरगिज इस खाई में नहीं धकेल सकता। तब बाबा ने शिष्य से कहा "जब तुझ जैसा एक साधारण प्राणी मुझे खाई में नहीं धकेल सकता तो बता मेरा मालिक भला कैसे मुझे खाई में गिरने देगा।"
लोटे की चमक
Thursday, August 15, 2019
मूढ़ आदमी
Wednesday, August 14, 2019
जैसी दृष्टि , वैसी सृष्टि
Saturday, August 10, 2019
पागल
सम्राट बहुत खुश था, उसकी रानियां बहुत खुश थीं, महल में गीत और संगीत का आयोजन हो रहा था। उसके वजीर खुश थे कि हम बच गए, लेकिन सांझ होते —होते उन्हें पता चला कि गलती में हैं वे, क्योंकि सारा महल सांझ होते —होते गांव के पागलों ने घेर लिया। पूरा गांव हो गया था पागल। राजा के पहरेदार और सैनिक भी हो गए थे पागल। सारे गांव ने राजा के महल को घेर कर आवाज लगाई कि मालूम होता है कि राजा का दिमाग खराब हो गया है। हम ऐसे पागल राजा को सिंहासन पर बर्दाश्त नहीं कर सकते। महल के ऊपर खड़े होकर राजा ने देखा कि बचाव का अब कोई उपाय नहीं है। राजा अपने वजीर से पूछने लगा कि अब क्या होगा? हम तो सोचते थे कि भाग्यवान हैं हम कि हमारे पास अपना कुआं है। आज यह महंगा पड़ गया है। वजीर से राजा कहने लगा, क्या होगा अब? वजीर ने कहा, अब कुछ पूछने की जरूरत नहीं है। आप भागे पीछे के द्वार से, और गांव के उस कुएं का पानी पीकर जल्दी लौट आएं। अन्यथा यह महल खतरे में है। सम्राट ने कहा, उसे कुएं का पानी! क्या तुम मुझे पागल बनाना चाहते हो? वजीर ने कहा, अब पागल बने बिना बचने का कोई उपाय नहीं है।
राजा भागा, उसकी रानियां भागी। उन्होंने जाकर उस कुएं का पानी पी लिया। उस रात उस गांव में एक बड़ा जलसा मनाया गया। सारे गांव के लोगों ने खुशी मनाई, बाजे बजाए, गीत गाए और भगवान को धन्यवाद दिया कि हमारे राजा का दिमाग ठीक हो गया है। क्योंकि राजा भी भीड़ में नाच रहा था और गालियां बक रहा था। अब राजा का दिमाग ठीक हो गया।
Thursday, August 8, 2019
ऐसा क्यों ?
एक आदमी का पूरा परिवार गुरुद्वारे जाकर गुरु की सेवा किया करता था। उस परिवार में एक लड़का जो कि दोनों पैरों से अपाहिज था, वह भी वहाँ बैठे-बैठे बहुत सेवा किया करता था। सेवा करते करते बरसों बीत गए उसका परिवार यह सोचता था कि हम सब गुरुद्वारे जा कर इतनी सेवा रोज किया करते हैं, फिर हमारे परिवार में यह बच्चा ऐसे क्यों हुआ, इसका क्या दोष था।
एक दिन गुरु पूर्णिमा के दिन सत्संग चल रहा था। हजारों लाखों श्रद्धालुओं के बीच उस अपाहिज पुत्र के पिता ने गद्दी पर बैठे हुए गुरु से एक सवाल किया जय गुरु देव हम सब इतनी गुरुद्वारे में सेवा करते हैं कभी किसी के बारे में बुरा नहीं सोचते हैं ना ही किसी का बुरा करते हैं फिर ऐसा क्या गुनाह हुआ जो हमारा बच्चा अपाहिज पैदा हुआ? फिर गुरु ने जवाब दिया वैसे तो यह बात बता नहीं सकते थे, पर इस समय तूने हजारों लाखों संगत के बीच में यह सवाल पूछा है,अब अगर मैंने तेरे बात का उत्तर नहीं दिया तो हजारो लाखो संगत का विश्वास डामाडोल हो जाएगा।
इसलिए पूछता है तो सुन। यह जो बच्चा हैं जो दोनों टांगों से बेकार है, पिछले जन्म यह एक किसान का बेटा था। रोज खेत में अपने पिता को दोपहर में भोजन ले जाया करता था। एक दिन इसकी मां ने इसे दोपहर खाना लगा कर दिया कि बेटा खाना खाकर पिता जी को भोजन दे आ । मां ने खाना परोस कर थाली में रखा कि इतने में इसके किसी दोस्त ने आवाज लगाई तो यह खाना वही छोड़ कर अपने दोस्त से बात करने बाहर चला गया। इतने में एक कुत्ता घर में घुस आया और उसने थाली में मुंह डाला और रोटी खाने लगा। लडका जैसे ही घर में वापिस आया और कुत्ते को थाली में मुंह डालता हुआ देखकर पास ही में एक लोहे का बड़ा सा डंडा पड़ा हुआ था इसने यह भी नहीं सोचा कि खाना तो झूठा हो चुका है बिना सोचे समझे उस कुत्ते की दोनों टांगों पर इतनी जोर से लोहे का डंडा मारा कि वह कुत्ता अपनी जिंदगी जब तक जिंदा रहा दोनों पैरों से बेकार हो कर घसीटते घसीटते जिंदगी जिया और तड़प तड़प कर मर गया। यह उसी कुत्ते की बद्दुआ का फल है जो इस जन्म में यह दोनों टांगों से अपाहिज पैदा हुआ है।
यह सुनने के बाद उस पिता को अपने सारे सवालों का जवाब मिल गया। और वो पुनः सेवा में जुट गया
Tuesday, August 6, 2019
कृतज्ञता
एक 80 वर्षीय बुजुर्ग के हृदय का ऑपरेशन हुआ ।
बिल आया 8 लाख रुपया, बिल देखने के बाद बुजुर्ग की आँखों में आंसू आ गए। यह देखकर डॉक्टर को दया आ गई अतः उसने कहा - "रोइये मत ! मैं इसे कम कर देता हूँ।" कृतज्ञता भरे स्वर में, आँखों में ख़ुशी के आंसू लिए, मंद - मंद मुस्कुराते हुए बुजुर्ग ने कहा - " यह बिल तो बहुत कम है, अगर 10 लाख भी होता तो मैं देने में समर्थ हूँ। आँसू तो इस लिए आये कि जिस प्रभु ने 80 वर्ष तक इस दिल को सम्भाला, उसने अभी तक कोई बिल नही भेजा जबकि आपने केवल तीन घंटे सम्भाला और 8 लाख रूपये का बिल।
Saturday, August 3, 2019
ईश्वर कहाँ है ?
Friday, August 2, 2019
गुरु मिले तो बंधन छूटे
एक सेठ ने मुझे मनुष्य को कुछ पैसे देकर खरीद लिया। अब सेठ ने मुझे चांदी के पिंजरे में रखा, मेरा बंधन बढ़ता गया। निकलने की कोई संभावना न रही। एक दिन उस सेठ ने राजा से अपना काम निकलवाने के लिए मुझे राजा को गिफ्ट कर दिया, राजा ने खुशी-खुशी मुझे ले लिया, क्योंकि मैं राम-राम बोलता था। रानी धार्मिक प्रवृत्ति की थी तो राजा ने रानी को दे दिया। अब मैं कैसे कहूं कि ‘राम-राम कहे तो बंधन छूटे’। तोते ने गुरु से कहा आप ही कोई युक्ति बताएं, जिससे मेरा बंधन छूट जाए। गुरु बोले- आज तुम चुपचाप सो जाओ, हिलना भी नहीं। रानी समझेगी मर गया और छोड़ देगी। ऐसा ही हुआ। दूसरे दिन कथा के बाद जब तोता नहीं बोला, तब संत ने आराम की सांस ली, रानी ने सोचा तोता तो गुमसुम पढ़ा है, शायद मर गया। रानी ने पिंजरा खोल दिया, तभी तोता पिंजरे से निकलकर आकाश में उड़ते हुए बोलने लगा ‘सतगुरु मिले तो बंधन छूटे’। अतः शास्त्र कितना भी पढ़ लो, कितना भी जाप कर लो, लेकिन सच्चे गुरु के बिना बंधन नहीं छूटता।
Monday, July 29, 2019
मोह का बंधन
Sunday, July 28, 2019
हीरे की कीमत
लेकिन यह सुन वह हीरा और भी ज़ोर से रोने लगा था और बोला था : ‘वह मेरे मूल्य को तो नहीं जानता था, लेकिन मुझे जानता था। वह ज्ञानी तो नहीं था। लेकिन प्रेमी था। और प्रेम जो जानता है, वह ज्ञान नहीं जान पाता है।’
Friday, July 26, 2019
मुक्ति
जब वे वापस लौटे, उस वृद्ध फकीर से उन्होंने जाकर कहा कि मैंने पूछा था, भगवान बोले कि अभी तीन जन्म और लग जाएंगे। वह अपनी माला फेरता था, उसने गुस्से में माला नीचे पटक दी। उसने कहा, तीन जन्म और! यह तो बड़ा अन्याय है। यह तो हद्द हो गई। नारद आगे बढ़ गए। वह फकीर नाचता था उस वृक्ष के नीचे। उससे कहा कि सुनते हैं, आपके बाबत भी पूछा था, लेकिन बड़े दुख की बात है; उन्होंने कहा कि वह जिस दरख्त के नीचे नाचता है, उसमें जितने पत्ते हैं, उतने जन्म उसे लग जाएंगे। वह फकीर बोला, तब तो पा लिया। और वापस नाचने लगा। वह बोला, तब तो पा लिया, क्योंकि जमीन पर कितने पत्ते हैं! इतने ही पत्ते, इतने ही जन्म न? तब तो जीत ही लिया, पा ही लिया। वह वापस नाचने लगा।