एक राजकुमारी का स्वयंवर हो रहा था। उसमें भाग लेने के लिए दूर-दूर से राजकुमार आए थे ।राजकुमारी ने पूछा- यमराज क्यों मुस्कराए ? जो इस सवाल का सटीक जवाब देगा, मैं उसी से विवाह करूंगी। तब राजकुमारी ने एक कथा सुनाई जो इस प्रकार थी- भारत के सुदूरदक्षिण में एक व्यक्ति था जो जीवन भर बुरे कार्यों में लगा रहा। जीवन के अंतिम वर्षों मेंउसकी मुलाकात एक ज्योतिषी से हुई जिसने उसे बताया कि वह अगले जन्म में घोर नरक में
जाएगा। हां, इससे बचने का एक रास्ता भी है। अगर वह गंगा स्नान कर ले तो उसके पाप धुल सकते हैं। लेकिन गंगा तो उत्तर-पूर्व में बहती थी। उस समय यातायात के साधन बैलगाड़ी और घोड़े ही थे। फिर भी वह किसी तरह चल पड़ा। कई दिनों तक चलते रहने के बाद वह काफी थक गया और अस्वस्थ भी हो गया। तभी अचानक उसे एक छोटी सी नदी मिली। उसने यह सोचकर कि यही गंगा है, उसी में स्नान कर लिया। लेकिन बाद में उसे पता चला कि यह कोई और नदी है। वह फिर आगे बढ़ चला कि तभी उसकी मृत्यु हो गई। वह यमलोक पहुंचा। यमराज ने चित्रगुप्त से उस व्यक्ति का लेखाजोखा पेश करने को कहा । चित्रगुप्त ने कहा-गंगा में स्नान करने के कारण इसके सारे पाप धुल गए हैं। इस पर उस व्यक्ति ने आपत्ति की- यह सच नहीं है। मैंने तो गंगा में स्नान किया ही नहीं। इस पर यमराज मुस्कराए । कथा समाप्त कर राजकुमारी ने अपना प्रश्न दोहराया। सभी राजकुमार एक-दूसरे का मुंह देखने लगे। तभी कोने में बैठे एक साधारण से युवक ने इसका उत्तर दिया- ईश्वर बाहरी आडंबर को नहीं देखता । वह तो हृदय में झांककर देखता है। उस व्यक्ति ने भले ही किसी स्थानीय नदी में स्नान किया पर उसकी नजर में तो वह गंगा ही थी। वह मन से निर्दोष था। यह सुनकर राजकुमारी ने युवक
के गले में वरमाला डाल दी। -
Contributed by
Mrs Rashmi Ji
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