एक साधु हर रोज पाचं गावं से भीख मागता अोर खाता था! उसे पाचं गावो से मुश्किल इतना ही भोजन मिलता एक वक्त ही खा पाता था! एैसे ही परेशानी में दिन कट रहे थे! तभी एक दिन भीख मागंते साधु को नारदमुनी जी मिल गए । साधु ने नारदमुनी जी को अपनी सारी परेशानी बताई कहा कि आप उस परमेश्वर के पास जाते है जो सब के पालनहार है! उनसे पुछना कि पाचं पाचं गावं में मांगने के बाद भी एक वक्त का भोजन पुरा नही मीलता।नारद जी साधु की बात सुन कर देवलोक चलेगए। आेर जब भगवन से मिले आैर साधु के बारे पुछा भगवन जी ने नारद जी को बताया की साधु की उमर बहुत लम्बी आैर भोजन तीन साल जीतना ही है ईसकी किस्मत में अब नारद जी सोचने लगे के साधु को कैसे बताउ नारद जी ने साधु से बचकर चलना शूरू कर दिया को साधु को सच न बताना पडे एक दिन नारद जी बच कर निकल रहे थे साधु की नजर नारद जी पर पड गई वह भागकर नारद जी के पास पहुचा आैर पछने लगा भगवन ने क्या कहा है। तब नारद जी को सच बताना पडा साधु से के उमर तुम्हारी लम्बी है आैर भोजन तीन साल जितना ही है तुम्हारे नसीब में इस लिये पांच गावं से भिख मागंने के बाद भी एक वक्त का खाना भी नही नसीब होता अब साधु ने नारद जी से कहा रिशीवर भगवन आप का कहा मानते है आप उन से कहो के मेरे नसीब का जितना भी भोजन है वह सारा मुझे इक्ठा दे देवे इस के बाद कुछ नही किसी से मांगुगा नारद जी ने भगवन से कहा आैर उन्होने एैसा ही होगा अब साधु पांच गाव से भीक्षा मांगने पर इतना राशन इकठा हो गया के उन्होने आसपास के सभी साधु के लिये भण्डारे का आयोजन कर दिया नारदमुनी जी सब देख कर सोच रहे थे की थोडे दिन में ही राशन भी खतम हो जाएगा आैर भण्डारा भी सालभर बीत गया नारदमुनी जी वहां से निकले देखा के भण्डारा अभी भी चल रहा है आेर पहले से कई गुना बडा हजारों की तादाद में भोजन कर रहे है आेर न भोजन में कमी हो रही है न ही भण्डारा खाने वालो में। नारद जी भगवन के पास आकर पूछते है भगवन आपने तो तीन साल का राशन दिया था वह भी केवल साधु के लिये भगवन बोले नारद जी जो लोग भण्डारे से जुडे हुए है जुड रहे है जुडेगें उनके नसीब का भी इसी भण्डारे मे आया है आरहा है आेर आएगा भी! कभी कमी नही रह सकती
Contributed by
Sh Vineet ji
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