एक गांव में एक मुखिया था उसने एक तोता पाला था। मुखिया रोज सत्संग सुनने जाता था ।मुखिया के तोते ने मुखिया से कहा कि आप सत्संग में जाना तो कबीर से पूछना मुझे भी कोई संदेश या युक्ति बताएं जिससे मुझे इस बंधन से मुक्ति मिल जाए ।उस मुखिया ने सत्संग में जाकर उस तोते की बात कबीर को बताई ,कबीरदास ने जब उस मुखिया के द्वारा उस तोते की बात सुनी वह मूर्छित हो गए ।सब भक्त परेशान हो गए आखिर क्या बात हुई थी क्या कबीर का उस तोते से कोई रिश्ता है यह बात उस मुखिया ने अपने घर आकर उस तोते को सुनाई उस तोते ने जब यह बात सुनी तो वह भी मूर्क्षित हो गया ।वह मुखिया एकदम घबरा गया उसने उस पिंजड़े को बाहर लाकर पिंजरा खोल कर रख दिया सोचा तोता मूर्छित हो गया है तोते ने देखा कि पिंजड़ा खुला है वह तोता बाहर निकलकर ऊपर छत पर जाकर बैठ गया ।मुखिया ने जब तोते से पूछा तो तोते ने बताया मुखिया तू तो रोजाना कबीर की वाणी सुनता है पर कभी अमल में नहीं लाया कल जब मेरी बात तुमने कबीर को बताई तो उन्होंने मूर्छित होकर मुझे संकेत दिए मैंने यही संकेत करके इस पिंजरे से छुटकारा पाया है मैंने घर बैठकर उसके विचारों का संकेत भर से फायदा उठाया है इसका मतलब है गुरु हमको वचनों द्वारा व्यवहार द्वारा सबकुछ बताता है उसका अमल करें तो फायदा होगा । सुनकर निकाल देने से कोई फायदा नहीं होगा।
Contributed By
Sh Vineet ji
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