Tuesday, September 8, 2015

उपाय

एक समय की बात है, एक गांव के कुएं में गिर कर एक कुत्ता मर गया। कुत्ते को कुए में मरा देख गांववालों ने उसके जल को अपवित्र समझ उसका उपयोग करना छोड़ दिया.कुएं के जल को पवित्र करने के लिए बड़े-बड़े विद्वानों से उपाय पूछा गया। विद्वानों ने कई प्रकार के पूजा-पाठ व जाप के द्वारा उसके पवित्रीकरण का उपाय करने के लिए कहा और ग्रामीणों ने पूरी श्रधा से उन उपायों को सम्पादित किया। सब कुछ करने के बावजूद कुएं के जल में बदबू आती रही तो सभी लोग उन प्रकाण्ड विद्वानों को दोष देते हुए उनके घर पर पहुंचे। विद्वानों ने कहा ऐसा हो ही नहीं सकता। तुम लोगों को हमारे किसी विरोधी ने बहकाया है कि हमारे उपाय सही नहीं है। चलो चल कर देखते हैं।जब वे विद्वान् कुएं के पास पहुँचे तो यह देख कर दंग रह गए कि कुएं में वह मरा कुत्ता पूर्ववत पड़ा हुआ है। विद्वानों ने ग्रामीणों की मूर्खता को कोसते हुए समझाया कि नादानों, इन उपायों को चाहे तुम हजार बार दुहराओ किन्तु जब तक कुएं से मरे हुए कुत्ते को बाहर नहीं फेंकोगे और उसका जल पूरी तरह नहीं निकालोगे, तब तक कुंए का जल पवित्र नहीं हो सकता। उपायों का अवलम्बन तो बाद में कामयाब होता है। तुम्हारा पहला कार्य तो मरे हुए कुत्ते को निकालना और दूषित पानी को कुए से निकलना  है।

एक कहानी से हमे सिखाती है की पूजा-पाठ, कर्म-कांड तब तक कार्य नहीं कर सकते जब तक मनुष्य स्वयं कर्म ना करे। कर्म सबसे श्रेष्ठ और प्रधान है । कुए का पानी तब तक नहीं शुद्ध हो सकता जब तक्क उसमे से मरे हुए कुत्ते को निकला जाये चाहें कितनी भी पूजा और साधना कर ली जाये। यह इसलिए क्यूंकि कुत्ते को निकलने का कर्म ही नहीं किया गया। यह सिधांत जीवन के हर क्षेत्र में लागू होता है ।
कष्टों के निवारण के लिए भगवान की अनुकम्पा हासिल करने के लिए चाहे कोई भी उपाय उपयोग में लाया जाए उसके पहले उन बुनियादी त्रिसूत्री ब्रह्मास्त्र उपायों को अपनाना आवश्यक है। क्योंकि इसको अपनाए बिना कोई भी उपाय आपको मनोवांछित फल प्रदान नहीं करेगा।



Edited and compiled by
Mrs Shruti Chabra ji
(Senior member~"Yaatra",whatsapp  grou

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