एक राजा ब्राह्मणों को लंगर में भोजन करा रहा था।तब पंक्ति के अंत में बैठे एक ब्राह्मण कोभोजन परोसते समय एक चील अपने पंजे में एक मुर्दा सांप लेकर राजा के ऊपर से गुजरी और उस मुर्दा सांप के मुख से कुछ बुँदे जहर की खाने में गिर गयी।किसी को कुछ पता नहीं चला।फलस्वरुप वह ब्राह्मण जहरीला खाना खाते ही मर गया।अब जब राजा को सच का पता चला तो ब्रह्म हत्या होने से उसे बहुत दुःख पहुंचा।यमराज के लिए यह फैसला लेना मुश्किल हो गया की पाप कर्म का फल किसके खाते में जाएगा? राजा जिसको पता ही नहीं था की खाना जहरीला हो गया है या वह चील...जो जहरीला सांप लिए राज के ऊपर से गुजरी...या वह मुर्दा सांप जो पहले से मर चूका था । दोस्तों बहुत दिनों तक यह फैसला यमराज के दरबार में अटका रहा।फिर कुछ समय बाद कुछ ब्राह्मण राजा से मिलने उसके राजमहल में आए और उन्होंने किसी महिला से महल का रास्ता पूछा महिला ने महल का रास्ता तो बता दिया ,पर रास्ता बताने के साथ 2 ब्राह्मणों से यह भी कह दिया भाई जरा ध्यान रखना वह राजा आप जैसे ब्राह्मणों को खाने में जहर देकर मार देता है।"बस मित्रों जैसे ही उस महिला ने यह शब्द कहे उसी समय यमराज ने यह फैसला ले लिया की उस ब्राह्मण की मृतयु का फल इस महिला को जाएगा इस महिला जो पाप का फल भुगतना होगा।यमराज के दूतों ने पूछा प्रभु ऐसा क्यों? जबकि उस ब्राह्मण की हत्या में महिला की कोई भूमिका नहीं थी।तब यमराज ने कहा कि देखो जब कोई व्यक्ति पाप करता है उसे आनन्द मिलता है।उस ब्रहामण की हत्या में न राजा को आनन्द मिला न मरे हुए सांप कोआनंद मिला न ही चील को आनन्द मिला पर उस पाप करम की घटना की बुराई करके उसका बखान करने से उस महिला को जरूर आनंद मिला इसलिए राजा के उस अनजाने पाप कर्म का फल इस महिला के खाते में जाएगा। इस घटना के तहत आजतक जब कोई व्यक्ति किसी दूसरे के पाप कर्म का बखान बुरे भाव से करता है उस व्यक्ति के पापों का हिस्सा बुराई करने वाले के खाते में डाल दिया जाता है।कई बार हम सोचते है कि जीवन में हमने कोई पाप नहीं किया फिर भी हमारे जीवन में कष्ट क्यों आया। कष्ट और कहीं से नहीं बल्कि लोगो की बुराई करने के कारण उसके पाप कर्मो से आया होता है।जिनको बुराई करते ही यमराज हमारे खाते में स्थानांतरित देते हैं।
Edited and Compiled by
Smt. Kanchan ji
(Senior member~"Yaatra" watsapp group
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