एक आदमी के घर गुरु और भगवान् दोनों ही पहुँच गए। वे बाहर आया और भ्र्म में पड़ गया की पहले किस के चरणों में गिरे। वो पहले भगवान् के चरणों में गिरा तो भगवान् बोले"रुको रुको पहले गुरु के चरणों में जाओ "। वो दौड़ कर गुरु के चरणों में गया। परंतु गुरु ने उसे रोक दिया और कहा की " मैं तो केवल माध्यम हूँ । और केवल भगवान् को लाया हूँ इस लिए तुम भगवान् के चरणों में जाओ।" अब वो भगवान् के चरणों की और दौड़ा। भगवान् ने पुनः उसे रोक और कहा " मुझे लाने वाले तुम्हारे गुरु ही थे। इसलिए तुम्हे गुरु के पास जाना चाहिए। " अब वो व्यक्ति गुरु के चरणों में गया। पर फिर गुरु ने रोक और कहा "तुम्हे भगवान् ने ही बनाया है इस लिए तुम भगवान् के पास ही जाओ "। वो व्यक्ति पूरी तरह भरमा गया। अब वो गुरु का आदेश मान कर भगवान् के पास गया । भगवान् बोले " रोको ।मैंने तुम्हे अवश्य बनाया है।लेकिन मेरे यहाँ न्याय पद्दति है। अगर तुम ने अच्छा किया है तो तुम उत्तम फल के अधिकारी होते हो और यदि बुरा किया है तो यहाँ दंड का कड़ा प्रावधान है जिस से तुम जीवन मरण के चक्करो से कभी मुक्त नहीं हो सकते।चौरासी लाख योनियो में भटको गे और इस सिलसिले को तोड़ पाना असंभव है . लेकि न जो तुम्हारा गुरु है न वो बहुत ही भोला है। वो तुम्हे अपने से कभी जुदा नहीं करता और गले से लगा कर अपने स्नेह द्वारा तुम्हारा सिंचन करता है। और तुम्हे शुद्ध करके मेरे पास भेजता हैं। इसलिए गुरु चरण ही वंदनीय है"
Edited and compiled by Smt Kanchan ji
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