Saturday, July 2, 2016

सफलता का सबक

मेरे दोस्तों एक आठ साल का लड़का गर्मी की छुट्टियों में अपने दादा जी के पास गाँव घूमने आया हुआ था।
                                        
एक दिन वो बहुत खुश था, उछलते-कूदते वो दादाजी अख़बार पढ़ रहे थे वो उनके पास पहुंचा और बड़े गर्व से बोला, ” जब मैं बड़ा होऊंगा तब मैं बहुत सफल आदमी बनूँगा।                     
क्या आप मुझे आप जैसा सफल होने के कुछ टिप्स दे सकते हैं

दादा जी ने ‘हाँ’ में सिर हिलाते हुए एक साइड अख़बार को समेट कररख दिया,
और बिना कुछ कहे लड़के का हाथ पकड़ा और उसे करीब की पौधशाला में ले गए
वहां जाकर दादा जी ने दो छोटे-छोटे पौधे खरीदे और घर वापस आ गए

वापस लौट कर उन्होंने एक पौधा घर के बाहर लगा दिया और एक पौधा गमले में लगा कर घर के अन्दर रख दिया

“क्या लगता है तुम्हे, इन दोनों पौधों में से भविष्य में कौन सा पौधा अधिक सफल होगा?”, दादा जी ने लड़के से पूछा

लड़का कुछ क्षणों तक सोचता रहा और फिर बोला, ” दादा जी घर के अन्दर वाला पौधा ज्यादा सफल होगा क्योंकि वो हर एक खतरे से सुरक्षित है जबकि बाहर वाले पौधे को तेज धूप, आंधी-पानी, और जानवरों से भी अधिक खतरा हमेशा बना रहेगा…”

दादाजी बोले, ” चलो देखते हैं आगे क्या होता है !”, और वह अखबार उठा कर पढने लगे

कुछ दिन बाद छुट्टियाँ ख़तम हो गयीं और वो लड़का वापस शहर चला गया।

इस बीच दादाजी दोनों पौधों पर बराबर ध्यान देते रहे और समय बीतता गया।।                                        6-7 साल बाद एक बार फिर वो अपने पेरेंट्स के साथ गाँव घूमने आया और अपने दादा जी को देखते ही बोला, “दादा जी, पिछली बार मैं आपसे सफल होने के कुछ टिप्स मांगे थे पर आपने तो कुछ बताया ही नहीं…पर इस बार आपको ज़रूर कुछ बताना होगा”

दादा जी मुस्कुराये और लडके को उस जगह ले गए जहाँ उन्होंने गमले में पौधा लगाया था

अब वह पौधा एक खूबसूरत पेड़ में बदल चुका था

लड़का बोला, ” देखा दादाजी मैंने कहा था न कि ये वाला पौधा ज्यादा सफल होगा…”

“अरे, पहले बाहर वाले पौधे का हाल भी तो देख लो…”, और ये कहते हुए दादाजी लड़के को बाहर ले गए ...

बाहर एक विशाल वृक्ष गर्व से खड़ा था! उसकी शाखाएं दूर तक फैलीं थीं और उसकी छाँव में खड़े राहगीर आराम से बातें कर रहे थे ।

“अब बताओ कौन सा पौधा ज्यादा सफल हुआ?”, दादा जी ने पूछ ही लिया...

“…ब..ब…बाहर वाला!….लेकिन ये कैसे संभव है, बाहर तो उसे न जाने कितने खतरों का सामना करना पड़ा होगा….फिर भी…”, लड़का आश्चर्य से बोल वो कैसे हुआ दादाजी ।

दादा जी मुस्कुराए और बोले, “हाँ, लेकिन चैलेंजेस का सामना करने के अपने रिवार्ड (पुरस्कार) भी तो हैं, तुम्हे उस वक़्त तेज आँधी हवा,बारिश, ओलों और खूंखार जानवर का डर सता रहा था उस बाहर वाले पेड़ के वास्ते मगर उसके पास आज़ादी थी कि वो अपनी जड़े जितनी चाहे उतनी फैला ले, आपनी शाखाओं से आसमान को छू ले…बेटे, इस बात को याद रखो और तुम जो भी करोगे उसमे सफल होगे- अगर तुम जीवन भर "safe option" choose करते हो तो तुम कभी भी उतना नहीं grow कर पाओगे जितनी तुम्हारी क्षमता है, लेकिन अगर तुम तमाम खतरों के बावजूद इस दुनिया का सामना करने के लिए तैयार रहते हो तो तुम्हारे लिए कोई भी लक्ष्य हासिल करना असम्भव नहीं है।

लड़के ने लम्बी सांस ली और उस विशाल वृक्ष की तरफ देखने लगा…वो दादा जी की बात समझ चुका था, आज उसे सफलता का एक बहुत बड़ा सबक मिल चुका था।

अधिकतर लोग डर-डर के जीते हैं और कभी भी अपने full potential को realize नही कर पात।

Contributed by
Mr Gothi ji

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