एक कबूतर कबूतरनी का जोड़ा आकाश में विचरण कर रहा था, तभी उनके ऊपर एक बाज उनको खाने के लिए उनके ऊपर उड़ने लगा।
तब वह दोनों जेसे-तेसे भागने लगे तब जमीन पर एक शिकारी भी उनको मारने के लिए आ गया ।
उस समय कबूतर भगवत नाम का स्मरण कर रहा था। और उसे कोई भय नही था,
पर उसकी पत्नी को डर लग रहा था। वह सोच रही थी की की मेरा पति तो गुरु का जप कर रहा है इसे कोई डर नही है। और हमारी दोनों और से मृत्यु निश्चित है।
या तो हमें बाज मार डालेगा या वो नीचे शिकारी है वो मार देगा, अब हमारा क्या होगा हम तो मरने वाले हैं।
तभी सदगुरू की कृपा से वहाँ जमीन पर एक सांप आ जाता है और वह सांप वहां खड़े शिकारी को ढस लेता है। और उसने जो तीर अपने धनुष पर लगा रखा था वो हाथ से छूट कर उस बाज के लग जाता है। और उनके पास दोनों तरफ से आई हुई मृत्यु टल जाती है।
इस पद से मुझे ये शिक्षा मिली कि चाहे कितनी भी विपत्ति क्यों ना आ जाए सदगुरू का स्मरण नही छोड़ना चाहिए,
श्री सदगुरू हमें सारी विपत्तियों ये निकाल लेते हैं। बस उनका ही आसरा होना चाहिए।
Contributed by
Mrs Preeti ji
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