एक बहुत ही गरीब ब्राह्मण बाँके बिहारी जी का अनन्य भक्त्त था | एक बार कठिन समय आने पर उस ब्राह्नण ने गाँव के महाजन से कुछ धन उधार लिया और कड़ी मेहनत करके हर महीने थोड़ा थोड़ा धन लौटा देता | जब अंतिम किश्त चुकता करता उस से पहले महाजन का ईमान डोल गया | महाजन ने उसे अदालत का नोटिस भिजवा दिया यह सोच कर की ब्राहाण को धन लौटते किसी ने नहीं देखा और ब्राह्मण को लूटा जा सकता है | कई बार धन की लालसा इंसान को इंसानियत से गिरा देती है कुछ ऐसा ही महाजन के साथ हुआ |
अदालत के नोटिस में उसने लिखा की ब्राह्मण ने आज तक धन नहीं लौटाया और अब उससे पूरा धन व्याज के साथ वापिस चाहिए |
जब ब्राह्मण को इस बात का ज्ञात हुआ वह महाजन के पास गया और बहुत विनती की और सफाई दी की उसने पूरा धन समय से लौटाया था | परन्तु लालच से भरा महाजन टस से मस नहीं हुआ |आखिरकर मामला कोर्ट में पहुंचा |ब्राह्मण बिना डरे बोला की जज साहब मैंने इस महाजन को पूरा धन समय पर लौटाया है | अब तो आखिरी किश्त लौटने वाला था की इस महाजन ने नोटिस भिजवा दिया | साहब मै निर्दोष हूँ. जज ने पूछा की क्या तुम्हारे पास कोई गवाह है जिसकी उपस्थिति में तुम महाजन को धन लौटते थे |कुछ सोचने पर ब्राह्मण ने उत्तर दिया जी जज साहब मेरी तरफ से गवाही बाँके बिहारी जी देंगे | अदालत ने गवाह का पता पूछा तो ब्राह्मण ने बताया बाँके बिहारी , वल्द वासुदेव , बाँके बिहारी मंदिर वृन्दावन | उक्त पत्ते पर सम्मन जारी कर दिया गया पुजारी के पास जब सम्मन पहुंचा तो उसने बाँके बिहारी की मूर्ति के सामने रख दिया और बोला भगवान आपको गवाही देने कचहरी जाना होगा | गवाही के दिन एक बूढ़ा आदमी सचमुच मे जज के सामने आया और बता गया की पैसे देते समय मे हमेशा साथ होता था| और फलां फलां तारीख को रकम लौटाई गयी थी जज ने जब महाजन का वहीखाता देखा तो यह बात सत्य निकली
रकम तो लिखी गयी थी परन्तु नाम फ़र्ज़ी डाला गया था | जज ने ब्राह्मण को निर्दोष करार देते हुए जाने दिया । जज के ह्रदय में हलचल मच गयी इस देव क्रिया को देख कर । वो स्तब्ध थाकि आखिर वह गवाह था कौन। उसने ब्राह्मण से पूछा। ब्राह्मण ने बताया कि बिहारीजी के सिवा कौन हो सकता है।इस घटना ने जज को इतना विभोर कर दिया किया कि वह इस्तीफा देकर, घर-परिवार छोड़कर फकीर बन गया। कहते है कि वही न्यायाधीश बहुत साल बाद पागल बाबा के नाम से वृंदावन लौट कर आया।
Compiled and edited by Smt Bindu ji
अदालत के नोटिस में उसने लिखा की ब्राह्मण ने आज तक धन नहीं लौटाया और अब उससे पूरा धन व्याज के साथ वापिस चाहिए |
जब ब्राह्मण को इस बात का ज्ञात हुआ वह महाजन के पास गया और बहुत विनती की और सफाई दी की उसने पूरा धन समय से लौटाया था | परन्तु लालच से भरा महाजन टस से मस नहीं हुआ |आखिरकर मामला कोर्ट में पहुंचा |ब्राह्मण बिना डरे बोला की जज साहब मैंने इस महाजन को पूरा धन समय पर लौटाया है | अब तो आखिरी किश्त लौटने वाला था की इस महाजन ने नोटिस भिजवा दिया | साहब मै निर्दोष हूँ. जज ने पूछा की क्या तुम्हारे पास कोई गवाह है जिसकी उपस्थिति में तुम महाजन को धन लौटते थे |कुछ सोचने पर ब्राह्मण ने उत्तर दिया जी जज साहब मेरी तरफ से गवाही बाँके बिहारी जी देंगे | अदालत ने गवाह का पता पूछा तो ब्राह्मण ने बताया बाँके बिहारी , वल्द वासुदेव , बाँके बिहारी मंदिर वृन्दावन | उक्त पत्ते पर सम्मन जारी कर दिया गया पुजारी के पास जब सम्मन पहुंचा तो उसने बाँके बिहारी की मूर्ति के सामने रख दिया और बोला भगवान आपको गवाही देने कचहरी जाना होगा | गवाही के दिन एक बूढ़ा आदमी सचमुच मे जज के सामने आया और बता गया की पैसे देते समय मे हमेशा साथ होता था| और फलां फलां तारीख को रकम लौटाई गयी थी जज ने जब महाजन का वहीखाता देखा तो यह बात सत्य निकली
रकम तो लिखी गयी थी परन्तु नाम फ़र्ज़ी डाला गया था | जज ने ब्राह्मण को निर्दोष करार देते हुए जाने दिया । जज के ह्रदय में हलचल मच गयी इस देव क्रिया को देख कर । वो स्तब्ध थाकि आखिर वह गवाह था कौन। उसने ब्राह्मण से पूछा। ब्राह्मण ने बताया कि बिहारीजी के सिवा कौन हो सकता है।इस घटना ने जज को इतना विभोर कर दिया किया कि वह इस्तीफा देकर, घर-परिवार छोड़कर फकीर बन गया। कहते है कि वही न्यायाधीश बहुत साल बाद पागल बाबा के नाम से वृंदावन लौट कर आया।
Compiled and edited by Smt Bindu ji
No comments:
Post a Comment