धार्मिक रूप से किसी भी भगवान् को दोष देना अपराध सामान है। परंतु उत्तराखंड के एक विशेष क्षेत्र के लोग आज भी इस सजा से नहीं डरते। चमोली जिले का द्रोणागिरी गांव हनुमानजी से आज तक नाराज है। उन्हें मलाल है कि लक्ष्मण को बचाने के लिए संजीवनी की तलाश में आए पवन पुत्र जड़ी बूटी के बजाय द्रोणागिरी पर्वत का एक हिस्सा लेकर ही लंका चले गए। ऐसी मान्यता है की द्रोणागिरी इस गाँव के पर्वत देवता है । और जो हिस्सा हनुमान जी उठा कर ले गए थे वो उन पर्वत देवता का दाहिना कंधा था। आज भी पर्वत देवता को कंधे का दर्द महसूस होता है ऐसा लोगों का मानना है।यहाँ के लोग अपने देवता के दर्द निवारण हेतु द्रोणगिरि पर्वत को ही पूजा करते है।और उस पूजा में स्त्रियों का रहना वर्जित है क्योंकि इस क्षेत्र में हनुमान जी भटक गए थे तब एक स्त्री ने ही द्रोणगिरि जाने का मार्ग बताया था।आज भी यहाँ राम लीला का मंचन नहीं होता। गांव में मान्यता है कि रामलीला के मंचन से कुछ न कुछ अशुभ अवश्य होता है। यह "विश्वास" इस कदर गहरा है कि उन्हें लगता है कि यदि हनुमान का नाम भी लिया तो पर्वत देवता अवश्य दंड देंगे।
Compiled and Edited by Mrs. Rashmi ji
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