Sunday, July 26, 2009

रामेश्वरम- एक दुर्लभ संगम

जब श्री राम लंका मैं विजय प्राप्त कर अयोध्या लौट रहे थे , तब उन्होंने गंध्मान पर्वत पर कुछ समय बिताया था परन्तु उन का मन काफी विचलित था कारण स्पष्ट था उन्हें ब्रह्म हत्या का दोष था क्यों कि रावन एक ब्रह्मिण थाजिस का वध उन्हों ने किया था। अपने गुरुजनों से आज्ञा प्राप्त कर के श्री राम ने भगवान् शिव कि आराधना करनेका निर्णय किया पूजा का एक विशेष मुहूर्त निकाला गया। श्री राम ने हनुमान जी को शिवलिंग लाने को कहा हनुमानजी बिना समय गवाए काशी की और चल पड़े काफी समय बीत जाने के बाद जब हनुमान जी नही लौटेतब श्री राम चिंतित हो गए क्योंकि मुहूर्त का समय निकट था। तभी सीताजी ने अपने हाथ से एक शिवलिंग कानिर्माण किया गया और उस मैं प्राण प्रतिष्ठा की। इस शिवलिंग को रामलिंगम कहते हैं . इस प्रकार उस शुभ मुहूर्तमैं पूजा संपन्न हुई। कुछ देर बाद जब हनुमान जी शिवलिंग ले कर लौटे तो वोह बहुत निराश हुए की उन् का प्रयासविफल हुआ क्योंकि पूजा संपन्न हो चुकी थी श्री राम जी हनुमान जी कि निराशा तुंरत भांप गए। उन् कि आज्ञा सेदूसरा शिवलिंग भी वहीँ स्थापित किया गया जिस का नाम विश्वलिंगम रखा गया और कहा कि आज के बाद सबसेपहले विश्वलिंगम , lकि पूजा होगी और उस के बाद रामलिंगम की आज तक यह प्रथा जारी है इस मन्दिर कीएक विशेषता और है कि यहाँ पर २२ तीर्थो का अनोखा संगम है। मन्दिर मैं प्रवेश से पहले समुद्र मैं स्नान करनाआवश्यक है जिसे "अग्नि तीरथ" कहते हैं इस के पश्चात् मन्दिर मैं २२ कुएं हैं जिन मैं अलग अलग तीर्थो कापवित्र जल विद्यमान है। सभी कुओं मैं स्नान करने के पश्चात् ही इश्वर के दर्शन होते हैं। ऐसी अनोखी और पवित्रप्रथा संसार मैं किसी भी मन्दिर में नहीं है। निम्नलिखित २२ पवित्र तीर्थ मन्दिर मैं स्थित हैं--
1)लक्ष्मी तीर्थ

2)चक्र तीर्थ

3)शिव तीर्थ

4)शंख तीर्थ

5)यमुना तीर्थ

6)गंगा तीर्थ

7)गया तीर्थ

8)कोटि तीर्थ

9)सध्यम्रित तीर्थ

10 सर्व तीर्थ

11 चंद्र तीरथ

12) सूर्य तीर्थ

१३ब्रह्महत्यविमोचन

१४माधव तीर्थ

१५नल तीर्थ

१६ नील तीरथ

१७ गव्य

१८ गवाक्षा तीरथ

१९गंध्मान तीर्थ

२०सवित्रि तीर्थ

21 सरस्वती तीरथ

२२ गायत्री तीरथ





"अग्नि-तीर्थ"- जहाँ पर मैंने अपने पूर्वजो के लिए तर्पण किया








२२ तीर्थो का संपूर्ण स्नान-एक अद्वित्य अनुभव

Thursday, July 16, 2009

The Curse of Sita

After the death of King Dashrath, Lord Rama decided to perform the shraadh ceremony because it was necessary to gave solace to the departed soul. Lord Rama along with Sita and Lakshman went to Gaya(a place in Bihar). On reaching there Lord Rama and Lakshman went in search for material required to perform the ceremony. Sita was waiting at the bank of Phalgu river. After waiting for long time she noticed that the soul of King Dashrath appeared and asked for the pinda(offering given to souls).As the time was running out , Sita herself decided to perform the ceremony with all the possible means. After the ceremony the soul of King Dashrath blessed her and departed. There were 5 witnesses to this ceremony- the Phalgu river,the Akshay vatam(a sacred tree), a cow ,the Brahmin and the fire. Later when the Lord Rama returned, Sita told the whole incident. But Lord Rama didn’t believe. Then Sita asked the 5 witnesses. Among the 5 only Akshay vatam told the truth. This upset Sita and she cursed the other 4. She cursed Phalgu river that it would be dried on the top. She cursed cow that it would no longer be worshipped from the front and only its backside would be considered as auspicious. She cursed fire that whatever came in contact with it would be destroyed. Then she cursed Brahmins that they would never be satisfied. Lastly She blessed Akshay vatam that it would remain evergreen. Even today the Phalgu river looses its water when it enters Gaya, though the water is still present below the river bed

Monday, July 13, 2009

एक अनुभव

ईश्वर के संकेत सचमुच विचित्र हैं एक रात मुझे सपने में ईश्वर नटराज रूप में दिखे तभी से मेरे मन में एक अजीबजिज्ञासा जागृत हुई । खोज करने पर पता चला कि चिदम्बरम नामक स्थान में ईश्वर नटराज रूप में विद्यमान हैं . धीरे धीरे और खोज करने पर पता चला कि दक्षिण भारत में विभिन्न स्थानों में पञ्च-तत्त्व के रूप में भगवान् निवास करते हैं यह तत्त्व हैं आकाश रूप,वायु रूप,जल रूप,अग्नि रूप और पृथ्वी रूप। चिदम्बरम में नटराज रूप , ईश्वर के आकाश तत्व का ही रूप है . इस बात ने मुझे इतना प्रभावित किया कि मैंने निश्चय किया कि में एक दिनचिदम्बरम जरूर जाऊँगा एक दिन सौभाग्य से मुझे मौका मिला एक अद्भुत तीरथ यात्रा करने का मौका मिला बड़ी बाधाओ को पार करने के बाद मैं चिदम्बरम पहुंचा मंदिर के मुख्या द्वार पर पहुँच कर मेरे मन में बड़ी हलचलहुई. एक अजीब से घबराहट थी ऐसा लग रहा था कि कोई यहाँ मेरा इंतज़ार कर रहा है। हम ने पूर्वी द्वार से मंदिरमैं प्रवेश किया निगाहे कुछ ढूँढ रही थी शायद अपनी सपने को साकार करने का समय गया था। कदमअचानक रूक गए आखों के ठीक सामने भगवान् नटराज मूर्ती रूप मैं विराजमान थे। आरती का समय था औरमूर्ती पूर्ण रूप में थी सब कुछ अविश्वस्निये लग रहा था। तभी मैं गाइड के पास गया और कहा कि मैं चिदम्बरमरहस्यम देखना चाहता हूँ वो हैरान हो गया कि मुझे कैसे पता है चिदम्बरम रहस्यम के बारे में ? मैं हिम्मत कर केमंदिर के गर्भ गृह तक गया और पंडितजी से रहस्यम के बारे में पुछा। पंडितजी ने बड़ी विचित्र मुस्कराहट के साथमुझे देखा और आगे आने को कहा और वेह बोले कि सामने वाली दीवार के बीच बने छेक में से देखो. पूरा अन्धकारथा उन्हों ने एक काला पर्दा उठाया और दीपक के लौ से उसे प्रकाशित किया परन्तु घबराहट कि वजह से मुझे कुछस्पष्ट नहीं दिखाई दिया. मैं निराश हो गया मैंने फिर से उनसे निवेदन किया कि मुझे दर्शन करा दें उन्हों ने बड़ीआशावादी नज़रों से मुझे देखा। उन्हों ने फिर से वही प्रक्रिया दोहराई इस बार मैं सतर्क था । पर्दा उठते ही ईश्वरनिराकार रूप में स्पष्ट महसूस हो रहे थे इतनी अंधेरे में भी उन पर स्वर्ण के बिलव पत्र अत्यंत शोभ्यमान प्रतीतहो रहे थे पंडितजी ने बताया कि यही शक्ति का मूल स्तोत्र है। मैं बिलकुल स्थिर हो चुका था ऐसा अनुभव कोबयान करने के लिए कोई भी शब्द किस्सी भी शब्दकोष मैं नहीं है। आज भी मैं उस पल को याद करता हूँ तो आँखोंसे आंसू सहसा बह जाते है और ज़बान भी लड़खडाने लगती है। इस अनुभव को वही समझ पायेगा जो प्रकृति केपञ्च तत्वों को गहरायी से जानता हो।

Wednesday, July 8, 2009

The Famous Five

It is believe that the life originate from the 5 basic elements called “Panch-tatva”. The word “Panch” means five and the word “Tatva” means element. As per classics these 5 elements created by God in specific order. At first “Aakash(space) tatva” was created, whose main feature is sound. At the second step “Vaayu(air) tatve” was created having touch as its main feature. In third order, “Agni(fire) tatva” was created. At the fourth place “Jal (water) tatva” was created . Lastly “Prithvi(earth) tatva” created. In all the living being these 5 elements are present. As per hindu mythology, the supreme soul is also worshipped as manifestation of these 5 elements. There are 5 temples in south India where Lord is presents in 5 different elements. They are called as Panchbhoot sthalams.
Following are the 5 panchbhhot sthalams
1)The Ekambareshwar Temple(In kanchipuram).Here lord is present in Prithvi tatvam
2)The Srikaalhasti Temple(In Chitoor dist.). Here lord is present in Vaayu Tatvam
3)The Natraj temple (At Chidambram). Here lord is present in Aakash Tatvam
4)The Arunachaleshwar temple(At Tiruannamalai). Here lord is present in Agni Tatvam
5)The Jambukeshwar Temple(At Trichi). Here lord is present in Jal Tatvam
They are mukti giving sacred places. The ambience of each of temple is so divine that one would have unique experience that can not be expressed in words.

The Arunachaleshwar Temple(Lord in Fire Roop) in Tiruannamalai

The Temple of Srikaalhasti (Lord in Vayu Roop)


The Ekambreshwar Temple of Kanchipuram(Lord in Prithvi Roop)

The Jambukeshwar Temple of Trichy

The Natraj Temple(Lord in Aakash Roop)