एक बार कन्हैया ने किसी गोपी के यहाँ माखन चुराया और गोपी ने उसे पकड़ लिया !कहती है -आज यशोदा माता को दिखाना है कि कान्हा ने माखन चुराया है ;यशोदा हमें झूठा समझती है !गोपी कान्हा को कस कर बाँध देती है ;कान्हा मिन्नत करता है कि थोड़ा ढीला कर दो कोमल शरीर है ! गोपी थोड़ा ढीला कर देती है ;कान्हा उसमें से कर निकल कर भाग जाता है और फिर गोपी को बाँध देता है !गोपी कहती है -कान्हा मुझे खोल दो देखो मैंने भी तो तेरा बन्धन ढीला किया था ! कान्हा कहता है -वास्तव में गोपी मुझे बाँधना ही आता है खोलना नहीं ! मै जिस का हाथ थामता हूँ कभी नहीं छोड़ता