एक बार अकबर ने बीरबल से पूछा : हमारे खुदा ज़मीन पर खुद नही आते वे अपने पैगम्बर ज़मीन पर भेजते हैं
पर आपके भगवान बार-बार दुनिया में आते हैं ऐसा क्यो ?
बीरबल ने थोड़ा समय लिया एक दिन बीरबल ने अकबर से कहा ; आज यमुना मे नौका विहार करेंगे । अकबर का बेटा छोटा था बीरबल ने उसे भी साथ ले जाने को कहा । अकबर मान गया । बीरबल ने दासी को समझा कर एक युक्ति बनाई , अकबर के बेटे की जगह एक मोम के पुतले को राज़सी वस्त्र पहना कर दासी की गोद में दे दिया और जिस नाव में अकबर बैठा था उसी नाव में बिठा दिया । साथ मे बहुत सी नौकायों में तैराक भी साथ चल दिये ।
नाव मझधार में हिचकोले खाने लगी दासी ने अरे---रे---रे---ओ चिल्लाते हुए उस कृतिम बच्चे को नदी में गिरा दिया और रोने बिल्खने लगी ।
अपने बालक को बचाने के लिए अकबर देखते ही नदी मे कूद गया , खूब इधर उधर गोते मार कर बड़ी मुश्किल से उसने बच्चे को पानी में से निकाला । वह बच्चा तो मोम का पुतला था । अकबर कहने लगा " बीरबल !
यह सारी शरारत तुम्हारी है तुमने मेरी बेइज्जती करवाने के लिए ही ऐसा किया है " बीरबल : जहाँपनाह !
आपकी बेइज्जती के लिए के लिए नही ; बल्कि आपके प्रश्न का उतर देने के लिए ऐसा किया है ।
आप इसे अपना शिशु समझकर इसे बचाने के लिए नदी मे कूद पड़े जबकि आप को पता था कि इन सारी नौकायों मे नाविक व तैराक बैठे थे और आपके मन्त्री भी साथ थे , आपने किसी को भी नदी में कूदने का आदेश क्यों नही दिया ।
अकबर : बीरबल यदि अपना बेटा डूब रहा हो तो अपने मन्त्रियों या तैराकों को आदेश देने की फुरस्त ही कहां होती है , खुद-ब-खुद ही कूदा जाता है ।
बीरबल : जैसे अपने बेटे की रक्षा के लिए आप खुद नदी मे कूद पड़े ऐसे ही हमारे भगवान जब अपने बालकों को संसार की मुसीबतों में डुबता हुआ देखते हैं तो वह किसी पैगम्बर को नही भेजते वरन् वह खुद प्रगट होते हैं । अपने बच्चों की रक्षा हेतू वह समय समय पर गुरू रूप धारन कर संसार में अपने भक्तों को इस मझधार में डुबने से बचाते हैं ।
Contributed by
Mr Sanjeev Ji
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