Tuesday, April 5, 2016

मांग


एक रागी अपने गुरु जी के दरबार में भजन गाया करता था |  वह बहुत ही अच्छा गायक था |  जब भी वह भजन कीर्तन करता था तो सारी संगत झूम  उठती थी |  उस रागी के मन में एक बात थी की वह तो दरबार पैदल आता है परन्तु उसके गुरु जी घोड़ी पर आते हैं |  उसका मन करता था की उसे किसी तरह वह घोड़ी मिल जाए |   रोज़ की तरह एक दिन वह दरबार में शब्द कीर्तन गा रहा था |  उस दिन उसने बहुत ही अच्छा गाया |  उसके गुरु जी बहुत खुश हो गए और उस से  कहां बोलो क्या मांगते हो, आज में तुम्हारे शब्द कीर्तन से बड़ा खुश हूँ |  आज तुमने बहुत ही अच्छा कीर्तन किया है |  रागी तो बस इसी दिन का इंतज़ार कर रहा था, उसने तुरंत ही अपने गुरु जी की घोड़ी मांग ली |  "" गुरु जी के मुखारबिंद से निकला -  बस तुमने घोड़ी माँगी हैं,  मैंने तो तुम्हे अपने गद्दी देनी थी ""
कहने का मतलब यह है की हमें अपने गुरु से कभी भी कुछ माँगना नहीं चाहिए, क्योंकि पता नहीं उनके दिल में क्या है, हम कौड़ियां माँगना चाहते हैं और वह हमें करोड़ों देना चाहते हैं |  हमें सब कुछ अपने  गुरु जी की इच्छा पर छोड़ देना चाहिए.   
Contributed by
Sh Vineet ji

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