Sunday, February 28, 2016

भगवान का पत्थर

एक दिन किसी निर्माण के दौरान भवन की छटी मंजिल से सुपर वाईजर ने नीचे कार्य करने वाले मजदूर को आवाज दी.निर्माण कार्य की तेज आवाज के कारण नीचे काम करने वाला मजदूर कुछ समझ नहीं सका की उसका सुपरवाईजर उसे आवाज दे रहा है.फिर सुपरवाईजर ने उसका ध्यान आकर्षित करने के लिए एक १० रु का नोट नीचे फैंका, जो ठीक मजदूर के सामने जा कर गिरा मजदूर ने नोट उठाया और अपनी जेब मे रख लिया, और फिर अपने काम मे लग गया .अब उसका ध्यान खींचने के लिए सुपर वाईजर ने पुन: एक ५०० रु का नोट नीचे फैंका .उस मजदूर ने फिर वही किया और नोट जेब मे रख कर अपने काम मे लग गया. ये देख अब सुपर वाईजरने एक छोटा सा पत्थर का टुकड़ा लिया और मजदूर के उपर फैंका जो सीधा मजदूर के सिर पर लगा. अब मजदूर ने ऊपर देखा और उसकी सुपर वाईजर से बात चालू हो गयी.ये वैसा ही है जो हमारी जिन्दगी मे होता है.....भगवान् हमसे संपर्क करना ,मिलना चाहता है, लेकिन हम दुनियादारी के कामो मे व्यस्त रहते है, अत: भगवान् को याद नहीं करते.भगवान् हमें छोटी छोटी खुशियों के रूप मे उपहार देता रहता है, लेकिन हम उसे याद नहीं करते, और वो खुशियां और उपहार कहाँ से आये ये ना देखते हुए,उनका उपयोग कर लेते है, और भगवान् को याद नहीं करते.भगवान् हमें और भी खुशियों रूपी उपहार भेजता है, लेकिन उसे भी हम हमारा भाग्य समझ कर रख लेते है, भगवान् का धन्यवाद नहीं करते ,उसे भूल जाते है. तब भगवान् हम पर एक छोटा सा पत्थर फैंकते है , जिसे हम कठिनाई कहते है, और तुरंत उसके निराकरण के लिए भगवान् की और देखते
है,याद करते है.यही जिन्दगी मे हो रहा है. यदि हम हमारी छोटी से छोटी ख़ुशी भी भगवान् के साथ उसका धन्यवाद देते हुए बाँटें, तो हमें भगवान के द्वारा फैंके हुए पत्थर का इन्तजार ही नहीं करना पड़ेगा..


Contributed by
Mrs Varsha ji

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