Tuesday, May 24, 2016

वसीयत

एक दौलतमंद इंसान ने अपने बेटे को वसीयत करते हुऐ कहा -
"बेटा मेरे मरने के बाद मेरे पैरों मे ये फटे हुऐ मोज़े (जुराबें) पहना देना, मेरी यह ख्वाहिश जरूर पूरी करना !

बाप के मरते ही नहलाने के बाद बेटे ने पंडितजी से बाप की ख़ाहिश बताई.

पंडितजी ने कहा धार्मिक रितीरिवाज के अनुसार कुछ भी पहनाने की इज़ाज़त नही है।
पर बेटे की ज़िद थी कि बाप की आखरी ख्वाहिश पूरी हो।
बहस इतनी बढ़ गई की शहर के पंडितो को जमा किया गया लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला ।

इसी माहौल में एक शक़्स आया और आकर बेटे के हाथ मे बाप का लिखा हुआ खत दिया, जिस मे बाप की नसीहत लिखी थी
" मेरे प्यारे बेटे "
देख रहे हो ? दौलत, बंगला , गाडी, बड़ी बड़ी फैक्ट्रीयां और फॉर्म हाउस के बाद भी मैं एक फटा हुवा मोजा तक साथ नहीं ले जा सकता ।
एक रोज़ तुम्हें भी मौत आएगी, आगाह हो जाओ तुम्हे भी एक कफ़न मे ही जाना पड़ेगा।

लिहाज़ा कोशिश कर के दौलत का सही इस्तेमाल करना,
नेक राह मैं ख़र्च करना,
बेसहाराओं को सहारा बनना,
क्युकि
अर्थी में सिर्फ तुम्हारे कर्म ही जाएंगे "⁠⁠⁠⁠

Contributed by
Mrs Gunjan Arora ji

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