Sunday, April 17, 2016

शुक्राना

रूप सिंह बाबा ने अपने गुरु अंगद देव जी की बहुत सेवा की 20 साल सेवा करते हुए बीत गए गुरु रूप सिंह जी पर प्रसन्न हुए और कहा मांगो जो माँगना है रूप सिंह जी बोले गुरुदेव मुझे तो मांगने ही नहीं आता गुरु के बहुत कहने पर रूप सिंह जी बोले मुझे एक दिन का वक़्त दो घरवाले से पूछ के कल बताता हूं घर जाकर माँ से पूछा तो माँ बोली जमीन माँग ले पर उन का मन नहीं माना बीवी से पुछा तो बोली इतनी गरीबी है पैसे मांग लो फिर भी मन नहीं माना छोटी बिटिया थी उनको उसने बोला पिताजी गुरु जी ने जब कहा है कि मांगो तो कोई छोटी मोटी चीज़ न मांग लेना इतनी छोटी बेटी की बात सुन के रूप सिंह जी बोले कल तू ही साथ चल गुरु जी से तू ही मांग लेना  अगले दिन दोनो गुरु के पास गए रूप सिंह जी बोले गुरुदेव मेरी बेटी आपसे मांगेगी मेरी जगह वो नन्ही बेटी बहुत समझदार थी रूप सिंह जी इतने गरीब थे के घर के सारे लोग दिन में एक वक़्त का खाना ही खाते इतनी तकलीफ होने के बावजूद भी उस नन्ही बेटी ने गुरु से कहा: गुरुदेव मुझे कुछ नहीं चाहिए आप के हम लोगो पे बहुत एहसान है आपकी बड़ी रहमत है बस मुझे एक ही बात चाहिए कि आज हम दिन में एक बार ही खाना खाते हैं अगर कभी आगे एेसा वक़्त आये के हमे चार पांच दिन में भी एक बार खाए तब भी हमारे मुख से शुक्राना ही निकले कभी शिकायत ना करे शुकर करने की आदत दो। इस बात से गुरु इतने प्रसन्न हुए के बोले जा बेटा अब तेरे घर के भंडार सदा भरे रहेंगे तू क्या तेरे घर पे जो आएगा वो भी खाली हाथ नहीं जाएगा

Contributed by
Mrs Preeti ji

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