Tuesday, June 30, 2015

गुरु की खोज

एक सूफी फकीर था जुनैद। वह अपनी जवानी के दिनों में जब गुरु को खोजने चला तो वह एक बूढे फ़कीर के पास गया।और उससे कहने लगा क़ि मैंने सुना है क़ि आप सत्य को जानते है।मुझे कुछ राह दिखाइए।बूढे फकीर ने एक बार उसकी और देखा और कहा तुमने सुना है कि मैं जनता हूँ।तुम नहीं जानते कि मैं जनता हूँ। जुनैद ने कहा आपके प्रति मुझे कुछ अनुभूति नहीँ हो रही है।लेकिन बस एक बात करे मुझे वह राह दिखाएँ जहाँ मैं अपने गुरु को खोज़ लूँ आपकी बड़ी कृपा होगी। वह बूढ़ा आदमी हंसा और कहने लगा जैसे तुम्हारी मर्जी, तब तुम्ही भटकना और ढूंढना होगा। क्या इतना साहस और धैर्य आपमें है।जुनैद ने कहा आप इसकी चिंता छोड़िये वह मुझमे है।मैं एक जन्म तो क्या अनेक जन्म तक गुरु की खोज कर सकता हूँ।बस आप मुझे वह तरीका बता दे कि गुरु कैसा दिखता होगा कैसे कपड़े पहनता होगा।फ़कीर ने कहा कि तुम सभी तीर्थो पर जाओ मक्का,मदीना,काशी,गिरनार...वहां तुम प्रत्येक साधु को देखो।जिसकी आँखों से प्रकाश झरता होगा जिसे देख कर तुम्हारे अंदर भक्ति की बाढ़ आ जाए और जिस के शरीर से कस्तूरी की सुगंध आये   तो समझ जाना वही तुम्हारा गुरु है  जुनैद 20 वर्ष तक यात्रा करता रहा।एक जगह से दूसरी जगह तक।बहुत कठिन मार्ग पर चलकर गुप्त जगहों पर भी गया।जहाँ पर भी कहीँ सुना कोइ गुरु रहता है वहाँ पर भी गया। लेकिन उसे न तो कोई ऐसा व्यक्ति मिला जिसे देख कर ऐसी अनुभूति हो और न ही ऐसी कोई सुगन्ध न ही किसी की आँखों में ऐसा प्रकाश झांकता दिखाई दिया बीस वर्ष बाद वह एक ख़ास वृक्ष के पास पंहुचा।गुरु वहां पर था कस्तूरी की गंध भी वहां पर महसूस हो रही थी उसके आस पास हवा में शांति भी थी। उसकी आँखें प्रज्जवलित भी थी प्रकाश से।उसकी आभा को उसने दूर से ही महसूस किया यह वही व्यक्ति है जिसकी वह तलाश कर रहा है। पिछले 20 वर्ष में कहाँ नहीं खोजा इसे।जुनैद गुरु के चरणों में गिर गया।आँखों में उसके आंसू की धार बहने लगी।गुरु देव में आपको 20 वर्ष से खोज़ रहा हूँ। गुरु ने उत्तर दिया, में भी बीस वर्ष से तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहा हूँ।देख जहाँ से तू चला था यह वही जगह है देख मेरी और।जब तू पहली बार मुझसे मिलने आया था और गुरु के बारे में पूछा था । तू तो भटकता रहा और मैं तेरा इंतज़ार करता रहा की तू कब आएगा।मै तेरे लिए मर भी न सका क़ि तू कब थक कर अयेगाऔर यह स्थान खाली मिला तो तेरा क्या होगा।जुनैद रोने लगा और बोला की आपने ऐसा क्यों किया।क्यों आपने मेरे साथ मज़ाक किया था।आप पहले ही दिन कह सकते थे कि मै तेरा गुरु हूँ।बीस वर्ष बेकार कर दिये।अप्पने मुझे रोक क्यों नहीं लिया।बूढे  आदमी ने जवाब दिया उससे तुम्हें कोई मदद नहीं मिलती।उसका कुछ उपयोग न हुआ होता।।
क्योंकि जब तक तुम्हारे पास आँखे नहीँ है देखने के लिए कुछ नही किया जा सकता।इन बीस वर्षो ने तुम्हारी मदद की मुझे देखने में क़ि मैं वही व्यक्ति हूँ और अब तुम मुझे पहचान सके।अनुभूति पा सके तुम्हारी आँखें निर्मल हो सकी।तुम देखने में सक्षम हो सके।तुम बदल गये।इन बीस वर्षो ने तुम्हें ज़ोर से मांझ दिया।सारी धुल छंट गई।वर्ना कस्तूरी की गंध तो बीस वर्ष पहले भी यहाँ थी।तुम्हारा हृदय स्पन्दित हो गया है।उसमें प्रेम का मार्ग खुल गया है।
जहाँ तुम अपने प्रेमी को बिठा सकते हो।इसलिए संयोग संभव नहीँ था।तुम स्वयं नहीँ जानते और कोई नहीं कह सकता तुम्हारी श्रद्धा कहाँ घटित होती है।वही व्यक्ति तुम्हारा गुरु है जहा श्रद्धा घटित हो और तुम कुछ कर नहीँ सकते इसे घटित होने से।तुम्हेंघूमना होगा।घटना घटित होनी निशश्चित है।लेकिन खोजना आवश्चक है।क्योंकि खोज तुम्हें तैयार करती है।ताकि तुम उसे देख सको।हो सकता है वह तुम्हारे बिलकुल निकट हो।




Edited and compiled by Smt Kanchan ji

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